"घरेलू डॉक्टर" स्वप्नदोष नपुंसकता तथा शीघ्र पतन का कारण और निवारण

https://youtu.be/JJvYCT2EuzY


         आज हम जानेंगे स्वप्नदोष,नपुंसकता तथा शीघ्र पतन के कारण,
उनको दूर करने के लिए घरेलू उपचारो के बारे में बात करेंगे,

स्वप्नदोष के कारण 

         स्वप्नदोष नपुंसकता तथा शीघ्रपतन यह तीनों रोग गलत खाने-पीने अधिक मैथुन तथा सेक्स काम के विषय में अधिक सोचने आदि कारण होते हैं, आयुर्वेद में बताया गया है कि शृंगारिक दृश्य देखने,  अश्लील पुस्तक पढ़ने,  सेक्स की बातचीत करने, महिलाओ के प्रति अधिक आसक्ति, अधिक हस्तमैथुन अधिक मैथुन,  बार बार पेट का हाजमा ख़राब होना,  अत्यधिक मानसिक परिश्रम अत्यधिक चाय कॉफी शराब आदि के सेवन के कारण स्वप्नदोष का यह रोग उत्पन्न हो जाता है. 

 लक्षण-

 इस रोग मे व्यक्ति जब नींद में होता है तो कामोत्तेजना के पश्चात वीर्य ख्वालित हो जाता है,  कभी-कभी स्त्री प्रसंग के विचार के बिना भी वीर्यपात हो जाता है,  यदि यह स्वप्नदोष माह में सात-आठ बार होता है तो यह रोग लक्षण हैं इस रोग के कारण व्यक्ति बार-बार कमजोर होता चला जाता है,  चेहरे की रौनक समाप्त हो जाती है, भूख की कमी,  प्यास की अधिकता,  बेचैनी,  ज्वर, आलस्य, उदासी, शीघ्रपतन आदि के लक्षण प्रकट होने लगते हैं कभी-कभी पेशाब में जलन होती है मुंह में दुर्गंध आती है, अगर यह कारण आपके साथ भी है तो हो जाइये सावधान,..। 

 चिकित्सा

     तुलसी के बीज 10 ग्राम पीसकर चूर्ण बना लें,। फिर उसमें से दो चुटकी चूर्ण लेकर शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करें, 

    तुलसी के बीज गोखरू सूखे आंवले तथा गिलोय इन सबको बराबर भाग लेकर महीन पीसकर चूर्ण बना लें फिर इनमें से एक चुटकी चूर्ण घी या चीनी के साथ प्रतिदिन सेवन करें,। 

    बबूल के कोमल पत्ते दस और तुलसी के पत्ते दस दोनों को खाकर ऊपर से ठंडा पानी पी लें इससे स्वप्नदोष में काफी लाभ होता है।
 इनमें से कोई भी एक नुस्खा आप इस्तेमाल कर सकते हैं, 

    इससे संबंधित अन्य जानकारियों के लिए आप कमेंट बॉक्स में कमेंट करके हमसे पूछ सकते हैं। 

 नपुंसकता 

    इस रोग के भी वही कारण है जो स्वप्नदोष के हैं यह पित्तज, वीर्यजन्य, शिरच्छेद जन्य, जन्मजात आदि हो सकती है। 

लक्षण 

    नपुंसकता के रोगी की संभोग की इच्छाएं नष्ट हो जाती हैं, यदि कुछ क्षण के लिए उत्तेजना आती भी है तो शीघ्र ही शांत हो जाती है, नपुंसक व्यक्ति संभोग करने में असमर्थ रहता है, कुछ लोगों को हस्तमैथुन करने के कारण भी नपुंसकता का यह रोग हो जाता है, 

 चिकित्सा

 तुलसी की मंजरी 5 ग्राम
 अरंडी के बीज 5 ग्राम
 पुराना गुड़ 5 ग्राम
 तिल 10 ग्राम
 बिनोले की गिरी 10 ग्राम
 कूट 5 ग्राम
 जायफल थोड़ा सा
 जावित्री 5 ग्राम
 अगर कला 5 ग्राम
    सबको कूट पीसकर एक साफ कपड़े में बांधकर पोटली बना लें, फिर इसे गर्म करके शिश्न की सिकाई करें, इस प्रयोग से नसों को काफी ताकत मिलेगी और काफी आराम मिलेगा, 

    तुलसी की जड़ को धोकर सुखा लें, फिर इसे पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इसे निफ्टी लगभग 2 माह तक गाय के दूध के साथ सेवन करें, इसके सेवन से नपुंसकता अवश्य दूर होगी और व्यक्तिगत जीवन प्रसन्नता के साथ व्यतीत होगा। 

 शीघ्रपतन 

 कारण तथा लक्षण लगभग वही हैं जो नपुंसकता के विषय में बताए गए है, असल में मैथुन क्रिया के समय अधिक देर तक रुकावट ना होना शीघ्रपतन कहलाता है, 

 चिकित्सा

 काली तुलसी के बीज 25 ग्राम
 अकर्करा 10 ग्राम
 मिश्री 25 ग्राम
 तीनों को कूटकर चूर्ण बना लें मैथुन करने से 1 घंटा पूर्व थोड़ा सा चूर्ण खाकर ऊपर से दूध पी ले, 

 तुलसी के पत्तों का रस
 सफेद प्याज का रस
 अदरक का रस
    तीनों को बराबर मात्रा में लेकर नित्य सुबह-सुबह इसका सेवन करें,
 आप अपने रोगा अनुसार स्वयं चिकित्सा कर सकते हैं, 

 इन सबके साथ यदि आप कपालभाति और मेडिटेशन करेंगे तो यथा शीघ्र ही लाभ होगा और आपका जीवन सुख कारी होगा, 
   


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